‘जूठन’: सामाजिक यथार्थ की गाथा

कपिल कुमार गौतम

Abstract


‘ओमप्रकाश वाल्मीकि’ जी ने अपनी आत्मकथा ‘जूठन’ मे जीवनगत अनुभवों के माध्यम से भारतीय समाज के क्रूर सत्य को अभिव्यक्त किया है | जाति व्यवस्था वास्तव में भारतीय समाज के लिए एक अभिशाप है | जिसने भारतीय समाज को कई हिस्सों में वर्गीकृत कर दिया है | यह शुद्ध रूप से वर्गीकरण सम्बद्ध शोषण की एक व्यवस्था है | जिसने ज्यादा श्रम करने वालों को निम्न और कम श्रम करने वालों को उच्च वर्ग का दर्जा प्रदान किया | ओमप्रकाश वाल्मीकि जी की आत्मकथा ‘जूठन’ भी इसी व्यवस्था की पीड़ा से उपजी एक गाथा है | ‘जूठन’, निम्न जाति में जन्मे ‘वाल्मीकि’ जी के जातिगत उत्पीड़न और संघर्ष का आख्यान है |


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