भारतीय लोकतंत्र में दलीय प्रणाली के विविध स्वरूप : 1952 से 2014 तक का राजनीतिक परिदृश्य
Abstract
भारतीय संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्रता उपरान्त संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया। किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरह ही संसदीय व्यवस्था में भी राजनीतिक दल अपरिहार्य है। बिना राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के चुनाव जैसा पर्व सम्पन्न नहीं किया जा सकता। पर आज़ादी के पिछले 70 साल में भारतीय दलीय प्रणाली का एक निश्चित स्वरूप दृष्टिगोचर नहीं होता। जागरूक भारतीय मतदाताओं ने अपने परिवर्तित मतदान व्यवहार द्वारा संघीय व राज्यों के स्तर पर दलीय प्रणाली को विविध रूप प्रदान किये हैं।
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