हिंदी साहित्य में नारी चित्रण
Abstract
नारी हर युग में साहित्य सृजन की प्रेरणा बनी है। नारी सिर्फ कोमल और सुडोल काया का ही नाम नहीं बल्कि कोमल कल्पनाओं का भी नाम है। नारी प्रेरणा भी है और जीने का सहारा भी। जब भी सौंदर्य वर्णन की बात आती है तो बेशक वह नारी के सौंदर्य के रूप में ही अभिव्यक्त होती है। जिस तरह प्रकृति की सुंदरता को कोई नकार नहीं सकता उसी तरह नारी सौंदर्य से भी कोई मुंह नहीं फेर सकता। तन और मन की अद्वितीय सुंदरता के कारण ही नारी सौंदर्य कभी चित्रकार की कूची में, कभी कवि-कथाकार की लेखनी में, कभी मूर्तिकार के शिल्प में नजर आती है।
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